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Noida News: चाइल्ड पीजीआई


सुपरस्पेशियिलिटी इलाज के लिए चाइल्ड पीजीआई में खुलेंगे तीन नए विभाग

– बोनमेरो ट्रांसप्लांट की क्षमता भी होगी नौ गुनी, घटेगी वेटिंग

– न्यूरो सर्जरी, साइकेट्री, फिजिकल मेडिसिन के लिए खुल रहे नए विभाग

अतुल भारद्वाज

नोएडा। सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में सुपरस्पेशियिलिटी इलाज के लिए तीन नए विभाग खुलने जा रहे हैं। इनमें पीडियाट्रिक न्यूरो सर्जरी, चाइल्ड साइकेट्री और फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग शामिल हैं। इसके अलावा बड़ी सुविधा बोनमेरो ट्रांसप्लांट की वेटिंग घटाने के लिए मिलने जा रही है। इसके लिए अगले महीने आठ बेड की नई यूनिट एनजीओ की मदद से सीएसआर में शुरू हो जाएगी। इससे बोनमेरो ट्रांसप्लांट की क्षमता नौ गुना हो जाएगी।

संस्थान के निदेशक प्रो. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक न्यूरो सर्जरी की सुविधा नहीं होने से मरीजों को दिल्ली या अन्य संस्थानों में रैफर करना होता है। न्यूरो सर्जरी गंभीर मरीजों के संस्थान में एडमिट होने की वजह से महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसे में पीडियाट्रिक न्यूरो सर्जरी विभाग बनाने की तैयारी की गई। इसके अलावा अभी तक मनोचिकित्सा की सुविधा भी यहां नहीं थी। इसके लिए चाइल्ड साइकेट्री विभाग शुरू किया जा रहा है। एक बड़ी जरूरत शरीर के अंगों में डिफॉर्मिटी के इलाज की सुविधा के लिए थी। इसके लिए फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग शुरू किया जा रहा है। इसमें सर्जरी, एक्सरसाइज के साथ ट्रीटमेंट की सुविधा रहेगी। विभागों के लिए स्टाफ की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होते ही इनको शुरू कर दिया जाएगा। 2024 में ही तीनों विभाग शुरू किए जाने की योजना है, जिससे जल्दी ही सुविधाएं मरीजों को मिलनी शुरू हो जाएं।

इनसेट-

ट्रांसप्लांट के लिए छह महीने की अभी वेटिंग

हेमेटोलॉजी-आंकोलाजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीता राधाकृष्णन ने बताया कि अभी हमारे यहां बोनमेरो ट्रांसप्लांट के नए मरीजों के लिए छह महीने तक की वेटिंग है। इसकी वजह यह है कि अभी संस्थान में केवल एक बेड ही मौजूद है। इसमें भी कई बार इमरजेंसी में भी ट्रांसप्लांट करने होते हैं। ऐसे में जिन बच्चों को इंतजार कराया जा सकता है। उनको वेटिंग में रखा जाता है। आठ नए बेड लग जाने के बाद ट्रांसप्लांट की क्षमता नौ गुना हो जाएगी। ऐसे में वेटिंग भी घटकर दो महीने तक आ जाएगी। बोनमेरो ट्रांसप्लांट निजी अस्पतालों में बहुत महंगा है। ऐसे में चाइल्ड पीजीआई पर निर्भरता मरीजों की बढ़ जाती है। यूपी में भी केवल लखनऊ के एसजीपीजीआई में ही यह सुविधा अभी मिल रही है। नए आठ बेड लगाने का काम शुरू हो गया है। इनके साथ ही जरूरी उपकरण भी लगाए जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि मई में इन नए बेड पर भी ट्रांसप्लांट शुरू कर दिया जाए।

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