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यमुना प्राधिकरण के स्थापना दिवस पर खास खबर : कभी हजारों करोड़ के कर्ज में थी अथॉरिटी, पढ़िए वर्ष 2016 के बाद डॉ.अरुणवीर सिंह ने कैसे चलाया जादू


NEWS7NOIDA | सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह

Greater Noida News : यमुना विकास प्राधिकरण की गिनती उन अथॉरिटी में होती है। जिन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को मालामाल किया है। यमुना अथॉरिटी की वजह से आज हर महीने करोड़ों का निवेश मिल रहा है। यमुना अथॉरिटी की वजह से ही उत्तर प्रदेश की पहचान पूरे यूपी में हो रही है, लेकिन अगर आज से हम 10 साल पीछे जाए तो यही अथॉरिटी कर्जे में डूबी हुई थी। कोई भी बैंक लोन नहीं देता था। हालात बेहद खराब थी। यमुना प्राधिकरण में काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह भी नहीं जा पाती थी। उसके बाद वर्ष 2016 में डॉ.अरुणवीर सिंह को सीईओ बनाया गया। इसके बाद यमुना प्राधिकरण के विकास में चार चांद लग गए। 24 अप्रैल 2001 को बना था यमुना प्राधिकरण
आज से 23 साल पहले 24 अप्रैल 2001 को यमुना विकास प्राधिकरण का गठन हुआ था। उस समय हालत बेहद ख़राब थी। यमुना प्राधिकरण में काम करने वाले लोगों को वेतन तक नहीं मिल पाता था। कोई भी व्यक्ति यमुना प्राधिकरण में नहीं आता था। विकास कोसों दूर था। एक भी अवंटी ढूंढने से भी नहीं दिखाई देता था। करोड़ों रुपये का कर्ज यमुना प्राधिकरण के ऊपर चढ़ गया। जिसको उतारने में वह सक्षम रहे। उसके बाद सरकार ने वर्ष 2016 में यमुना अथॉरिटी की जिम्मेदारी डॉ.अरुणवीर सिंह के कंधों पर दे दी। कभी 4,800 करोड़ रुपए का कर्ज था
आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2016 में यमुना अथॉरिटी पर 4,800 करोड़ रुपए का भारी भरकम कर्ज था। लेकिन 2016 के बाद यमुना प्राधिकरण की किस्मत ही चमक गई। अरुणवीर सिंह की सोच ने यमुना प्राधिकरण की हालत ही बदल डाली। यह वही प्राधिकरण है, जिस पर 6 साल पहले 4,800 रुपए का कर्ज था। लेकिन आज वह समय आ गया है, जब यमुना विकास प्राधिकरण की वजह से उत्तर प्रदेश को 1715.51 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। पिछले कुछ सालों के दौरान मुनाफे के तौर पर कम से कम 404 करोड रुपए यमुना प्राधिकरण के अकाउंट में आए हैं।”यमुना प्राधिकरण को बैंकों ने लोन देना बंद कर दिया था”
अधिकारियों ने स्थापना दिवस पर कहा कि एक समय था, जब प्राधिकरण पूरी तरह डूबता जा रहा था। प्राधिकरण के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं थे। प्राधिकरण पैसे के लिए मोहताज था। सात साल पहले प्राधिकरण की गिरती हालत को देखते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में इसका विलय करने की तैयारी की गई थी। बैंकों ने लोन देना बंद कर दिया था। ढाई हजार करोड़ के कर्ज में डूबे प्राधिकरण की हालत दयनीय थी, लेकिन इसी दौरान डॉ.अरुणवीर सिंह ने संभालकर प्राधिकरण को संवारा।  आज 600 करोड़ रुपये का मुनाफा
वर्ष 2016 में सीईओ बनने के बाद उन्होंने प्राधिकरण की हालत को पटरी पर लाने का संकल्प लिया। उन्होंने प्रोजेक्ट्स को पटरी पर लाया। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, हेरिटेज क्लब, लॉजिस्टिक पार्क, जापानी सिटी, कोरियन सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क और अपैरल पार्क जैसे कई बड़े प्रोजेक्ट विकसित किए गए। इससे प्राधिकरण की हालत सुधरती गई। अब प्राधिकरण 600 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रहा है। कंपनियां शुरू हो गई हैं, हजारों लोगों को रोजगार मिला है। करीब 100 इंडस्ट्रियल सेक्टर बन रहे हैं और 20-21 हजार आवंटियों को कब्जा दिया जा रहा है। लोग यहां बसने आ रहे हैं और यमुना प्राधिकरण का नाम देश में सम्मान के साथ लिया जा रहा है।3 साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके डॉ.अरुणवीर सिंह
डॉ.अरुणवीर सिंह करीब 6 वर्षों से यमुना अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं। करीब 4 साल पहले वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनकी साफ छवि और ईमानदारी के चलते उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 3 साल से सेवा विस्तार दे रहे हैं। अरुणवीर सिंह कहते हैं, “हमने इस साल 406 करोड़ का शुद्ध मुनाफा कमाया है। यह लगातार चौथा वर्ष है, जब हमने यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यमुना अथॉरिटी के इतिहास में सबसे अधिक लाभ अर्जित किया है। पिछले साल लाभ 107 करोड़ था।”

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